एक थी खूबसूरत सी लड़की,
सब से नाराज़, बेजार ,
उखड़ी -उखड़ी , थोड़ी कटी-कटी.
पूछा , तब उसने बताया –
तलाकशुदा हैं ,
इसलिये कुछ उसे उपलब्ध मानते हैं.
कुछ चुभने वाली बातें करते हैं.
किसी ने कहा – इन बातों से भागो मत.
जवाब दो , सामना करो.
अगली बार छेड़े जाने पर उसने ,
पलट कर कहा – हाँ, अकेली हूँ.
पर क्या तुम पत्थर हो ? पाषाण हो
क्या तुम्हारे घर की लड़कियों के साथ ,
ऐसा नहीँ हो सकता ?
मदद नही कर सकते हो , ना करो.
पर अपमानित तो मत करो.
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