मनोविज्ञान और हम
Tuesday, September 13, 2016
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हिंदी कविता
रोशनी -कविता
रोशनी पड़ने से जगमगा उठा,
रास्ते में पड़ा कंकड़….
मैंने झुक कर उठा लिया उसे.
तभी ऊपर वाले की
आवाज़ आई.-
जिस रोशनी से यह बेजान पत्थर चमक उठा.
वह तुम पर भी तो पड़ रहीं हैं.
क्यों नहीँ अपने को चमकाते और
ऊपर उठाते हो ?
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