Dashrath Manjhi -Mountain Man single-handedly carved a path through a mountain in 22 years using only a hammer and chisel to make a short cut rout to near by town. Because in the remote village his wife died , as she could not get medical facilities on time.
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A poor tribal man in Odisha walked nearly 10 -12 kilometres with his daughter, carrying his wife’s body on his shoulder, after he was denied a mortuary van from a government hospital.
एक ने पहाड़ का सीना ,
चीर
बीमार पत्नी को समय पर
इलाज ना दे पाने पर ,
पर्वत में राह बनाया.
वह था दशरथ मांझी.
दूसरे ने पत्नी का हर कर्ज
चुकाया ,
ना जाने कितने दूर ,
काँधे पर उसका शव उठा ,
दाना मांझी
मीलों चलता आया.
सिर्फ पत्नी धर्म की बातें
होती हैं.
पुरुषों के इस समाज में
पति धर्म निभाने वाले ऐसे भी
लोग होते हैं.
(बिहार में दशरथ मांझी के माउंटन मैन बनने की कहानी उनकी पत्नी और अस्पताल के बीच खड़े पहाड़ की देंन हैं. वक्त पर इलाज नहीं मिलने से वह चल बसीं. तब इस गरीब मजदूर ने सिर्फ एक छेनी और हथौडी की सहायता से अकेले , पहाड़ के बीचो बीच रास्ता बनाया. जिससे 55 किलोमीटर का रास्ता मात्र 15 किलोमीटर रह गया. इस काम में उन्हें 22 साल लग गये.
. उडिसा के एक अस्पताल में निर्धन दाना मांझी की पत्नी की मृत्यु हो गई. कोई व्यवस्था ना देख , दाना ने पत्नी के शव को कंधे पर 12 किलोमीटर की दूरी पर , श्मशान घाट ले गये
वेदना और हृदय की पीडा को कर्मठता में बदल देने वाले नायकों को सलाम )
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