मनोविज्ञान और हम
Tuesday, September 13, 2016
POSTED IN
हिंदी कविता -समाचार आधारित
मेरे मंदिरों में – कविता
"मेरे मंदिरों में – कविता "
मेरे मंदिरों में भी तुम सब
करते हो मोल -तोल.
कभी पुजारी और कभी भक्त बन कर.
बड़े पक्के हो ,
व्यापर करने में.
लेकिन क्या जानते हो ,
अपना अनमोल मोल ?
जो बिना किसी मोल -भाव
मैंने तुम्हें दिया ?
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment