Tuesday, September 13, 2016

POSTED INहिंदी कविता

रोशनी -कविता 

sun

रोशनी पड़ने से जगमगा उठा,

रास्ते में पड़ा कंकड़….

मैंने झुक कर उठा लिया उसे.

तभी ऊपर वाले की

आवाज़ आई.-

जिस रोशनी से यह बेजान पत्थर चमक उठा.

वह तुम पर भी तो पड़ रहीं हैं.

क्यों नहीँ अपने को चमकाते और

ऊपर उठाते हो ?


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